संतुलित चारा सहित खनिज मिश्रण व विटामिन्स से बढ़ाया जा सकता है दूध उत्पादन- डॉ. संजय कुमार
वैज्ञानिक पद्धति से पशुपालन के लिए किया प्रशिक्षित।
उत्तराखण्ड जैवप्रौद्योगिकी परिषद ने आयोजित किया दो दिवसीय वैज्ञानिक पद्धति से पशुपालन पर प्रशिक्षण।
पंतनगर। उत्तराखण्ड जैवप्रौद्योगिकी परिषद् के तत्वावधान में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम निदेशक डॉ. संजय कुमार के निर्देशन में चम्पावत जिले के स्वाला एवं धौन में आयोजित की गयी। परिषद् के निदेशक डा. संजय कुमार ने वैज्ञानिक पद्धति से बद्री गाय व पंतजा बकरी पालन को बढ़ावा देने व पशुपालकों की आय वृद्धि के उद्देश्य से वैज्ञानिक पद्धति से प्रशिक्षण दिया। डा. संजय कुमार ने बताया कि पंतजा बकरी एक साल में दो चार बच्चे देती है और दोबारा ढाई माह में गर्भ धारण कर लेती है। आगे डा. संजय कुमार ने प्रतिभागियों को बद्री गाय की दूध की गुणवत्ता की जानकारी देते हुये बताया कि बद्री गाय का दूध अन्य गायों की तुलना में पौष्टिक एवं उच्च गुणवत्ता वाला होता है। उन्होंने दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए संतुलित चारा सहित खनिज मिश्रण व विटामिन्स को नियमित रूप से जानवरों को देने की बात कही। डा. संजय कुमार ने जनवरों को स्थानीय बीमारियों से बचाव के तौर-तरीकों से पशु पालकों व ग्रामीणों को अवगत कराया। पन्तनगर कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय, पन्तनगर के पशु चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप तलवार ने पशुपालकों को बेहतर पशुपालन से संबन्धित तकनीकी प्रशिक्षण दिया एवं बताया कि देश की जीडीपी में पशु उत्पादन की हिस्सेदारी 5 फिसदी है। आगे बताया कि पहाड़ की बद्री गाय हर्बल व औषधीय वनस्पतियों को खाती है जिससे उसके दूध की गुणवत्ता उच्च होती है तथा बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। विशेषज्ञ डा. सुशील जोशी, पशुचिकित्सा अधिकारी, चम्पावत ने बताया कि पशुपालन के मुख्य बिन्दुओं जैसेकि पोषण व्यवस्था, अच्छी नस्ल, अच्छा आवास, अच्छा आहार एवं समुचित देखभाल से पशुपालन से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। डा. अवनीश, पशुचिकित्सा अधिकारी, चूल्थी, चम्पावत ने कहा कि पशुपालन में वैज्ञानिक पद्धति एवं आधुनिक तकनीकों को उपयोग में लाकर पशुपालक अपनी आर्थिकी को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने पशुओं में समय से गर्भाधान कराने को पशुपालन का जरूरी हिस्सा बताया। इस दौरान प्रतिभागी पशुपालकों एवं ग्रामीणों को बढ़ावा पशुपालन की ओर बढ़ावा देने के लिए टब एवं जरूरी दवाइयां जैसे कि एग्रीमिन फोर्ट, एल्बेन्डाजोल, ब्रोटॉन एवं काफी क्यूब्स वितरित किये गये। इस दौरान डा. अनुपम आज़ाद, धीरज सुंठा व विवेकानंद ने कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।
फ़ोटो 1- वैज्ञानिक पद्धति से पशुपालन की तकनीकी जानकारी देते निदेशक डॉ. संजय कुमार।