मॉलिक्यूलर तकनीक की जानकारी को आज के समय की मांग- डा. संजय कुमार
जैव प्रौद्योगिकी के नवीन तकनीक पर प्रशिक्षण का आयोजन। जैव प्रौद्योगिकी परिषद में ऑटोमेटिक न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रेक्टर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन ।
पंतनगरः उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद, हल्दी एवं हाई मीडिया लैब, मुम्बई के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण का शुभारम्भ संयुक्त रूप से परिषद के निदेशक डा. संजय कुमार, वैज्ञानिक डा. कंचन कार्की, डा. सुमित पुरोहित, डा. मणिन्द्र मोहन एवं विशेषज्ञ एप्लीकेशन साइंटिस्ट हाई मीडिया लैब डा. अनुपम पांडेय एवं राजीव राय ने दीप प्रज्जवलित करके किया।
मुख्य अतिथि निदेशक डा. संजय कुमार ने जैव प्रौद्योगिकी में मॉलिक्यूलर तकनीक की उपयोगिता की जानकारी देते हुए मॉलिक्यूलर तकनीकों को नवाचार का जरूरी हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि आज मॉलिक्यूलर तकनीकी के सहायता से घातक बीमारियों की पहचान कम से कम समय मे किया जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि आज की सीखी हुयी आधुनिक तकनीक का भविष्य में बहुत मांग है, इसलिए उज्जवल भविष्य के लिए प्रतिभागी इसे पूर्ण मनोयोग से सीखें। विषय विशेषज्ञ डा. अनुपम पांडेय एवं राजीव राय ने ब्लड नमूनों से डीएनए का ऑटोमेटिक पृथक्करण करने का प्रशिक्षण दिया। साथ ही उन्होंने प्रोटीन नमूनों का पृथक्करण की जानकारी प्रतिभागियों को दी। परिषद के वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम समन्वयक डा. कंचन कार्की ने मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की नवीन तकनीकों की जानकारी दी। इस दौरान पंत वि.वि. पंतनगर, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, देहरादून, इन्वर्टिस वि.वि. बरेली, कुमाऊं वि.वि. नैनीताल, आईएफटीएम मुरादाबाद एवं टीएमयू मुरादाबाद के 100 से अधिक स्नातक, परास्नातक एवं पीएचडी के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन डा. मणिन्द्र मोहन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुमित पुरोहित ने किया। इस दौरान मेजर अशोक कुमार राठौर, परिषद के वैज्ञानिक डॉ. मणिन्द्र मोहन, डा. कंचन कार्की, डा. सुमित पुरोहित, अनुज कुमार, केशव रावत, ललित मिश्रा, सौरभ पंडा, अनुज जॉन, अनुपम आजाद, लोकेश त्रिपाठी, वैशाली पलेरिया, मेधा सिंह, धीरज सूंठा, भूपाल सिंह, बबीता, मनोज शाह उपस्थित रहें।
क्या है ऑटोमेटिक न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रेक्टर (बाक्स)
पंतनगर। ऑटोमेटिक न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रेक्टर तकनीक से विभिन्न प्रकार के नमूनों जैसे कि खून, पौध, जल, मिट्टी, जीवाश्म, जीवाणु इत्यादि के डीएनए एवं आरएनए का सही व सटीक तरीके से पृथक्करण किया जाता है और आगे की तकनीक जैसे पीसीआर, डीएनए फिंगर प्रिंटिंग, बारकोडिंग एवं एडिटिंग जैसे महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं से सही और सटीक निष्कर्ष कम समय में निकाला जा सकता है